Details, Fiction and बबूल के फायदे और नुकसान



यह घाव बाद में गंभीर रूप में बदल सकता है, लेकिन गुलमोहर का प्रयोग इन्फेक्शन को बढ़ने से रोक सकता है.

बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।

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यह गोंद पुरुषों में मर्दाना कमजोरी, धातु रोग, गुप्त रोग, डायबिटीज, पेट की समस्याएं, मोटापा, कमरदर्द, महिलाओं के गुप्त रोग आदि समस्याओं से छुटकारा दिलाने में काफी कारगर औषधि है। यह पोषक तत्वों का खजाना है।

शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उस अंग पर बबूल के पत्तों का रस लगाएं। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।

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जलोदर रोग में फायदे के लिए बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पीने से काफी आराम मिल सकता है।

इसमें कोई शक नहीं कि बबूल का वृक्ष अत्यंत स्वास्थ्य उपयोगी वृक्ष है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बबूल के वृक्ष के कितने स्वास्थ्य लाभ होते हैं?

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बबूल के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

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यह लम्बा, झाड़ीदार और कांटेदार वृक्ष होता है। इसके कांटे लम्बे तथा तीखे होते हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों जैसे होते हैं, लेकिन उससे कुछ बड़े और गहरे हरे रंग के होते है। इसके फूल पीले रंग के होते read more हैं। इसकी फलियां लम्बी होती हैं। फलियां कच्ची अवस्था में हरे रंग की, चपटी तथा मुड़ी हुई होती हैं।

इसके एंटीबैक्टीरियल व एंटीडायबिटिक गुण गठिया और बवासीर जैसे कई रोगों के इलाज में फायदेमंद हैं. गुलमोहर के फूलों का अधिक सेवन अस्थमा रोग में नुकसानदायक हो सकता है.

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